शनिवार, 5 अप्रैल 2025

काव्य

 अधिकांश, काव्य शब्दों में समझते हैं

काव्यांश भावनाओं के यूं झुलसते हैं


लगता है प्रतीक, बिम्ब धुंध हो गए

भाव काव्य के कैसे अब कुंद हो गए

शब्द को पकड़ लोग क्यों सुलगते हैं

काव्यांश भावनाओं के यूं झुलसते है 


काव्य लेखन भ्रमित या काव्य समझ

काव्य बेलन सहित या भाव हैं उलझ

शब्द-शब्द काव्य अर्थ क्यों समझते हैं

काव्यांश भावनाओं के यूं सुलगते हैं


भावनाएं भर-भर शब्द चयन होते हैं

कामनाएं, कल्पनाएं काव्य नयन होते हैं

काव्य को संपूर्णता से न सुलझते हैं

काव्यांश भावनाओं के यूं सुलगते हैं।


धीरेन्द्र सिंह

05.04.2025

23.38

पुणे।

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