रविवार, 13 अप्रैल 2025

जिज्ञासी

 प्रणय का प्रस्ताव लिए तत्पर अभिलाषी

महिला की रचना हो, दौड़ पड़ें "जिज्ञासी"


यौन कामनाओं के विक्षिप्त रुग्ण प्राणी

हर नारी पर मुग्ध झूठी मीठी ले वाणी

मार्ग एक प्रशस्त चाहें, दुनिया घनी कुहासी

महिला की रचना हो दौड़ पड़ें "जिज्ञासी"


जो भी कहना कहिए पोस्ट टिप्पणी में

मैसेंजर से संदेशा क्या रहस्य नागमणि के

तुम जैसों ने हिंदी साहित्य बनाया उबासी

महिला की रचना हो दौड़ पड़े 'जिज्ञासी"


यह बात सिर्फ संबंधित हिंदी लेखन से

धिक्कार रुग्ण तुम्हें नारी प्रति जेहन से

सुधर जाओ संस्कार सुधार ओ पिपासी

महिला की रचना हो दौड़ पड़े "जिज्ञासी"।


धीरेन्द्र सिंह

13.04.2025

21.21



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें