हम उसी भावनाओं की फुलझड़ी हैं
आतिशबाजियों को क्यों तड़ातड़ी है
रंगबिरंगी रोशनी से है जिंदगी नहाई
शुभसंगी कौतुकी में है बंदगी अंगड़ाई
समस्याएं सघन मार्ग चांदनी खड़ी है
आतिशबाजियों को क्यों तड़ातड़ी है
फुलझड़ी संपर्क है जलने तक रुबाई
सुरक्षित शुभता दिव्यता भर मुस्काई
अन्य ध्वनि करें असुरक्षा भी बड़ी है
आतिशबाजियों को क्यों तड़ातड़ी है
अंगुलियों से पकड़ें तो चाह चमचमाई
फुलझड़ी सहयोगी संग-साथ गुनगुनाई
रोशन फूल सितारों की जिंदगी लड़ी है
आतिशबाजियों को क्यों तड़ातड़ी है।
धीरेन्द्र सिंह
25.12.2024
12.14
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें