मंगलवार, 20 अगस्त 2024

ज़िरह

 आपसे मिल नहीं सकता कभी

क्यों लग रहा सब हासिल है

बेमुरव्वत, बेअदब सिलसिला है

वो मग़रूर हम तो ग़ाफ़िल हैं

 

चंद बातों में खुल गए डैने

यूं लगे आसमां भी शामिल है

उड़ रहा तिलस्म का उठाए बोझा

दिल ही मुजरिम दिल मुवक्किल है

 

उनकी अदालत में डाल दी अर्जियां

अदालत ढूंढ रही कौन कातिल है

मुकर्रर का कुबूल है कह दिए उनको

ज़िरह में देखिए होता क्या हासिल है।

 

धीरेन्द्र सिंह

21.08.2024

14.04



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