ढीठ बड़ा लगता है बरसात का पानी
बहाव का प्रवाह और बदलती कहानी
शहर धुल जाता छप्पर सहित मकान
आप भी नई लगतीं ले स्व अभिमान
सावन सरीखा सुहानी सी जिंदगानी
बहाव का प्रवाह और बदलती कहानी
कभी दूर लगें, बदलियां रचित व्योम
कभी मन श्लोक सा, पावन बन होम
प्यार शुचिता में जल, अगन तानातानी
बहाव का प्रवाह और बदलती कहानी
मन की सर्जना में तन की हो गर्जना
सावनी बयार है या आपकी अभ्यर्थना
मन बहके विवेक घुड़के उम्र क्यों नादानी
बहाव का प्रवाह और बदलती कहानी।
धीरेन्द्र सिंह
25.07.2024
09.05
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