टहनी पर पैर जड़ पर प्रहार
पकड़ बनाए कैसा यह विचार
लकड़हारा है या जंगल लुटेरा
मतिमारा है या अकल जूझेरा
और कब तक है यह स्वीकार
पकड़ बनाए कैसा यह विचार
जंगल उन्मुक्त विचरण आदी
मंगल करते प्रहारी यह उन्मादी
उसकी कुल्हाड़ी इसकी कलमधार
पकड़ बनाए कैसा यह विचार
इधर काटे उधर छांटे अनवरत
लेखनी से वेदना करें समरथ
जंगल बचाइए अस्तित्व आधार
पकड़ बनाए कैसा यह विचार।
धीरेन्द्र सिंह
17.07.2024
22.00
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