रविवार, 14 अप्रैल 2024

ऋचा

 

अभिव्यक्तियां करे संगत कामना

शब्द संयोजन है जिसकी साधना

 

जब पढ़ें शब्द लगे जैसे स्केटिंग

शब्द दिल खींचे सम्मोहन मानिंद

शब्दों की थिरकन पर लय बांधना


शब्द संयोजन है जिसकी साधना

 

शब्द हैं सुघड़ तो भाव भी सुघड़

शब्द सौंदर्य पर जाता दिल नड़

रूप सौंदर्य से शब्द सौंदर्य मापना

शब्द संयोजन है जिसकी साधना

 

अनेक ऋचा पर अनोखी है एक ऋचा

तादात्म्य शब्द का जहां हो न खिंचा

शब्दों के सरगम में शब्दों का नाचना

शब्द संयोजन है जिसकी साधना।

 

धीरेन्द्र सिंह

14.04.2024

14.32

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