शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

गुलाब

 

चल गुलाब ढल गुलाब

हलचल सा तू बन गुलाब

 

अंगुलियों के स्पर्श बतलाएं

पंखुड़ियों भाव लिपट अंझुराएं

छुवन से जाने इश्क़ नवाब

हलचल सा तू बन गुलाब

 

मेरी हलचल गीत ढल गई

मीत मेरी अतीत बन गई

उनके मन हो जतन गुलाब

हलचल सा तू बन गुलाब

 

शब्द यूं महको करें कुबूल

भावना में लिपटे हैं फूल

इन फूलों से सज हों माहताब

हलचल सा तू बन गुलाब।


 

धीरेन्द्र सिंह

10.02.2024

21.44

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