शनिवार, 6 जनवरी 2024

छपवाली

 जितनी छपी है क्या सब पढ़ ली

फिर क्यों अपनी अभी छपवाली


भाषाओं में नित नए सृजन तौर

मौलिक हैं कितने कौन करे गौर

अपनी महत्ता क्या सब में बढ़ाली

फिर क्यों अपनी अभी छपवाली


क्या लिखे क्यों लिखे सिलसिले

पहले भी यही लिखा सत्यमिले

लेखन से क्या रचनात्मकता खिली

फिर क्यों अपनी अभी छपवाली


पुस्तक प्रकाशन शौक और नशा

रचनाकार बिन पके लिखा वो फंसा

कई प्रकाशकों के झांसे गली-गली

फिर क्यों अपनी अभी छपवाली


अनेक पुस्तक लेखक लगें निरुत्तर

पुस्तक की चाह जैसे पुत्री-पुत्तर

हिंदी इस जंजाल की ज्ञात क्या कड़ी

फिर क्यों अपनी अभी छपवाली।


धीरेन्द्र सिंह


06.01.2024

15.32

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