मंगलवार, 11 जुलाई 2023

चितेरा

 एक सुंदर एहसास सा तेरा

अपरिभाषित होने का घेरा

सिर्फ अनुभूतियों में ध्वनित

बोल न कौन तेरा है चितेरा


धरती, अम्बर, बादल, चांद

यह सब छुपने के हैं मांद

मौन स्पंदन वर्तमान का घेरा

बोल न कौन तेरा है चितेरा


हवा, शाम, रातों की अदाएं

तू दूर तेरा ख्वाब हैं जगाए

प्रतिध्वनियों का गुंजित घेरा

बोल न कौन तेरा है चितेरा


होना तुम्हारा क्या मेरा जीवन

दर्द विरह हृदय का सीवन

क्यों रह-रह बोले बाहों का घेरा

बोल न कौन तेरा है चितेरा।


धीरेन्द्र सिंह

12.07.2023

06.40

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