शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

अजगर शाम

 शाम अजगर की तरह

समेट रही परिवेश

निगल गई

कई हसरतें,

आवारगी बेखबर

रचाए चाह की

नई कसरतें।


धीरेन्द्र सिंह

02.07.2021

शाम 06.17

लखनऊ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें