सोमवार, 21 जून 2021

टहनियां

 डालियां टूट जाती हैं

लचकती हैं हंस टहनियां

आप समझे हैं समझिए

कैसी इश्क की नादानियां


एक बौराई हवा छेड़ गई

पत्तों में उभरने लगी कहानियां

टहनियां झूम उठी प्रफुल्लित

डालियों में चर्चा दिवानियां


गुलाब ही नहीं कई फूल झूमे

फलों को भी देती हैं टहनियां

डालियां लचक खोई ताकती

गौरैया आए चहक करे रूमानियां।


धीरेन्द्र सिंह

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