मंगलवार, 27 जून 2017

पत्नी दो नयना है
प्रिये है तीसरी आंख
पत्नी अगर है गरिमा
प्रिये लगे, है साख

दो नयन करे आचमन
तीसरी आंख करे फांक
रसीले आम सी ज़िन्दगी
कुशलता से ली बांट

तीसरी आंख अति उल्लास
दो नयन छुड़ाए हर गांठ
तीसरी आंख शोख चंचल
दो नयन दे सुख का ठाठ

त्रिनेत्र शंकर हैं भोले भंडारी
दो नयन सनेही दे सब बांट
त्रिनेत्र न हो तो मस्ती न मिले
दो नयन बिना न दिखे बाट।

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