अब नज़र किसकी और कैसी भला चाह
की है हमने भी मुहब्बत, वाह-वाह-वाह.
कई गुलदस्ते भी कुम्हला गए, छूकर मुझे
जला गई एक आग बोल, चाह-चाह-चाह.
देखे कई चेहरे, सुनी बातें, महकती अदाऍ
हर बार दिल बोल उठा, वही राह-राह-राह.
जब लगता था हैं क़रीब, तब थी दीवानगी
अब देख कर मुझे, कहें सब दाह-दाह-दाह.
मैं अपनी राह पर हूँ ढूँढता, खोए दिल को
दिलदार की पुकार में, पनाह-पनाह-पनाह.
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