प्यार भरी दे रहीं धमकियां
कुछ तो न किया क्यों मियां
उनके तसव्वुर में बोल गया
छुपाया है जो हमारे दरमियाँ
बदगुमानी न बदमिजाजी है
हर्फ़ समझें न बना दें सुर्खियां
बेमुरव्वत कब रही मोहब्बत
तलाशे मन क्यों एहसासी सर्दियां
ना तराशो ना अब और लावण्यमयी
बुत बना दोगी हँसेगी सखियां।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें