सोमवार, 15 मई 2017


 प्यार भरी दे रहीं धमकियां
कुछ तो न किया क्यों मियां

उनके तसव्वुर में बोल गया
छुपाया है जो हमारे दरमियाँ

बदगुमानी न बदमिजाजी है
हर्फ़ समझें न बना दें सुर्खियां

बेमुरव्वत कब रही मोहब्बत
तलाशे मन क्यों एहसासी सर्दियां

ना तराशो ना अब और लावण्यमयी
बुत बना दोगी हँसेगी सखियां।

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