मोहब्बत नहीं बस प्यार चाहिए
सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए
शायरी की संस्कृति में है पर्देदारी
काव्य सर्जना में सर्वनेत्री है नारी
नारी का सर्वांगीण शक्तिधार चाहिए
सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए
घूंघट उठाकर चेहरा देखना अपमान
शौर्य भक्ति पर नारी को है अभिमान
नारी संचालित मुखर स्वीकार्य चाहिए
सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए
मूल भारतीय संस्कृति है नारी उन्मुख
एक भव्य नारी इतिहास है विश्व सम्मुख
ऑनलाइन आक्रमण भंजक वार चाहिए
सोहबत नहीं आत्मदुलार चाहिए।
धीरेन्द्र सिंह
18.06.2024
09.45
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