सोमवार, 18 अगस्त 2025

बरसात

 बहत्तर घंटे से लगातार बरसात

भोर नींद खुली भय के हालात


लग रहा बादल फटा क्रोध जता

बारिश की गर्जना मौन रतजगा

भोर पांच तीस पर दूध का साथ

भोर नींद खुली भय के हालात


विद्यालय, महाविद्यालय बंद आज

जीवन मुम्बई का करे दो-दो हाँथ

मंथर पर जीवन घोर वर्षा का आघात

भोर नींद खुली भय के हालात


लोकल बंद होगी सड़क बन तालाब

दैनिक मजदूर दुखी सब लाजवाब

वर्षों बाद मुम्बई में है वर्षा उत्पात

भोर नींद खुली भय के हालात।


धीरेन्द्र सिंह

19.08.2025

05.57

रविवार, 17 अगस्त 2025

प्रिए

 तुम कहाँ हो लिए व्यथित हृदय

कौन है अब धड़कन बना प्रिए


तृषित अधर नमक चखें समर्थित

बतलाओगी संख्या कितनी व्यथित

अनुराग विस्फोटन को लिए दिए

कौन है अब धड़कन बना प्रिए


वर्ष कई बीत गए हुए हम विलग

न जाने कौन सी जलाई अलख

ईश्वर से प्रार्थना सुखी वह जिएं

कौन है अब धड़कन बना प्रिए


आधार प्यार का मन संचेतना है

प्रमुख मिटाता वह अन्य वेदना है

प्रणय कुछ नहीं कैसे उल्लासपूर्ण जिए

कौन है अब धड़कन बना प्रिए।


धीरेन्द्र सिंह

17.08.2025

22.43


गज़ब

 सुनो में एक हद हूँ

और तुम बेहद

बात इसमें यह भी

मैं बेअदब हूँ

और तुम संग अदब,

है न गज़ब!


हम में विरोधाभास

पर मैं हताश

और तुम आकाश

बात इसमें यह भी

मैं प्रणयवादी हूँ

और तुम व्यवहारवादी

है न गज़ब!


हम में भी यह विकास

तुम दूसरे राज्य

मुझे लगो तुम साम्राज्य

बात इसमें यह भी

मैं लौ दीपक

पर तुम प्रकाश

है न गज़ब!


हम स्पष्ट विरोधाभास

मूल हित संस्कार तोड़ता बेड़ियां

तुम प्रगतिशील भूल पीढियां

बात इसमें यह भी

मैं मात्र आस

और तुम मधुमास

है न गज़ब।


धीरेन्द्र सिंह

17.08.2025

21.06





रिश्ते

कुछ रिश्ते इतने रम जाते हैं

कि न जाने कब मर जाते हैं


झटके दर झटके भी है अदा

रिश्ता है तो नोक-झोंक बदा

कब अपने रिश्ते में भर जाते हैं

कि न जाने कब मर जाते हैं


झटके से जो मरता रिश्ता नहीं

खट से मार डालें सिसकता नहीं

रह-रहकर तेज धार दिखलाते हैं

कि न जाने कब मर जाते हैं


कई मर चुके उसकी गिनती कहां

जो अब मर रहे उनमें विनती कहां

भाव इस विलगाव पर झुंझलाते हैं

कि न जाने कब मर जाते हैं।


धीरेन्द्र सिंह

17.08.2025

19.55

शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

गोविंद

 कनखियों से गोपी भाव धमाल है

माखन चोरी में अब कहाँ ताल है

दही-हांडी महाराष्ट्र का एक स्वरूप

धनवर्षा मुंबई में कृष्णोत्सव ढाल है


गोविंदा की निकलती हैं कई टोलियां

एकदूजे के कांधे पर  चढ़ना कमाल है

शारीरिक सौष्ठव संतुलन का उत्सव

"गोविंदा आला रे" संगीत ताल है


अब तो युवतियों की भी गोविंदा टोली

बहुत ऊंचाई तक जाना खयाल है

गोपियाँ भी कान्हा की तरह माखनचोर

मुम्बई में कृष्ण जन्माष्टमी द्रुतताल है।


धीरेन्द्र सिंह

16.08.2025

07.14

गुरुवार, 14 अगस्त 2025

15 अगस्त

 विश्व कहीं मस्त कहीं अस्तव्यस्त है

भारत भी कहे भविष्य 15 अगस्त है


विविधता में एकता ही प्रखर भवितव्य

विभिन्नता में श्रेष्ठता ही अधर अमृत्व

सभी ओर सक्रियता के लक्ष्य सत्य है

भारत भी कहे भविष्य 15 अगस्त है


कथ्य में सत्य की विशाल लिए संस्कृति

अपनी समस्या हटाते राष्ट्र की नित उन्नति

हर नागरिक कर्म का नैवेद्य का कक्ष है

भारत भी कहे भविष्य 15 अगस्त है


ललाट पर धारित तिरंगे की ओजस्विता

सम्राट का अस्तित्व विचारित तेजस्विता

राष्ट्र ही सर्वस्व भारत विश्वगुरु प्रशस्त है

भारत भी कहे भविष्य 15 अगस्त है।


धीरेन्द्र सिंह

15.08.2025

08.37


बुधवार, 13 अगस्त 2025

क्रंदन

 सौंदर्य की चंचलता पर संस्कारी बंधन

इतना ना जकड़िए मन में होता क्रंदन


रूपवती हैं, निगाहें मान लेती हैं गुणवती

धुनमति हैं अदाएं जान लेती हैं द्रुतगति

सौम्य, शांत, संयत, शीतल सुगंधित चंदन

इतना न जकड़िए मन में होता क्रंदन


अनदेखा कर भूल जाना भला कहां संभव

आपके सौंदर्य से प्रणय सदियों से पराभव

आसक्ति मुक्ति ना चाहे बस सौंदर्य अभिनंदन

इतना न जकड़िए मन में होता क्रंदन


भावनाओं की रिक्तियां चाहे प्यार युक्तियाँ

सौंदर्य परख दृष्टि की नित नव आसक्तियां

विनयपूर्ण सम्मान में गरिमा का हो वंदन

इतना न जकड़िए मन में होता क्रंदन।


धीरेन्द्र सिंह

14.08.2025

09.03