मंगलवार, 25 अक्तूबर 2022

विकल्प

 विकल्प


विकल्प होना

संभव है संकल्प में

संकल्प होना

संभव कहां अल्प में,

स्थिर मन होता है संकल्पित

या विकल्पित

अपने संस्कार अनुसार

मन का खोले द्वार,

विकल्प तलाशता है

बुनता ताना-बाना

परिचित से हो अपरिचित

अनजाने को कहे पहचाना,

संकल्प और विकल्प

जीवन के दो धार

संकल्प से हो उन्नयन

विकल्प ध्वनि बस "यार"।


धीरेन्द्र सिंह


चखे फल

 कौओं, कबूतरों, गिद्धों के

चखे फल को

अर्चना में सम्मिलित करना

एक आक्रमण का

होता है समर्थन,

श्रद्धा चाहती है

पूर्णता संग निर्मलता,

चोंच धंसे फल

सिर्फ जूठे ही नहीं होते

बल्कि

किए होते हैं संग्रहित

चोंच के प्रहारों की अनुभूति

समेटे मन के डैने में,

आस्थाएं

नहीं टिकती

जूठन व्यवहार पर

क्या करे पुजारी

मंदिर के द्वार पर।


धीरेन्द्र सिंह