सोमवार, 11 अगस्त 2025

बालकृष्ण

 भोला चित्ताकर्षक मनमोहक रूप

मुग्धित दृष्टि लिए चुम्बकीय अनूप

सृष्टि सहर्ष उत्कर्ष की है ललक लिए

चांदनी लिपट गयी देख अद्भुत धूप


मात-पिता शिशु देखें भाव के झकोरे

आत्मतृप्ति ले आसक्ति आयो सपूत

एक ऊर्जा सकारात्मक जैसे ब्रह्मचेतना

भाग्य खिला जीवन मिला जैसे शहतूत


नयन गति पालना गति सुख सम्मति

माँ अनुग्रहित कोख प्रभाव जो भभूत

पित्र चित्र भाव के पूरित शिशु प्रभाव

उन्नयन बहुरंगी गगन आभामंडल सूत


कान्हा को कहना एक दिव्य अनुभूति

कामनाएं सविनय करें कृष्ण तो अकूत

बालरूप अतिदिव्य रूप पूर्ण कौन देखे

अर्चना संग सर्जना विनीत भाव से आहूत।


धीरेन्द्र सिंह

11.08.2025

20.26