सत्य के उजियाला में सब स्पष्ट दिखे
तथ्य बहुत पैना है आखिर कौन कहे
सुविधाभोगी हो जाती अभावग्रस्त पीढ़ी
युग करता प्रयास से संवर्धन बनकर सीढ़ी
शीर्ष आत्मविश्वास से तथ्य निरंतर जो बहे
तथ्य बहुत पैना है आखिर कौन कहे
बोल को बिन तौल धौल का चलन किल्लोल
मोल को गिन खौल बकौल धवल सुडौल
रचनाएं नित नवीन फिर भी संरचनाएं ढहे
तथ्य बहुत पैना है आखिर कौन कहे
रच रहा नींव में है कौन मकड़जाल
और उठते कदम कई क्यों हुए बेताल
विरोध के हैं क्षेत्र सजग और ना सहे
तथ्य बहुत पैना है आखिर कौन कहे।
धीरेन्द्र सिंह
17.09.2025
04.43