गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

भोर बहंगी

 भोर भावनाओं की ले चला बहंगी

लक्ष्य कहार सा बन रहा सशक्त

वह उठी दौड़ पड़ी रसोई की तरफ

पौ फटी और धरा पर सब आसक्त


सूर्य आराधना का है ऊर्जा अक्षय

घर में जागृति, परिवेश से अनुरक्त

चढ़ते सूरज सा काम बढ़े उसका

आराधनाएं मूक हो रहीं अभिव्यक्त


भोर की बहंगी की है वह वाहक

रास्ते वही पर हैं ठाँव विभक्त

कांधे पर बहंगी और मुस्कराहट

भारतीयता पर, हो विश्व आसक्त


भोर भयी ले चेतना विभिन्न नई

बहंगी वही पर धारक है आश्वस्त

सकल कामना रचे घर चहारदीवारी

कर्म भोर रचकर यूं करती आसक्त।


धीरेन्द्र सिंह

25.04.2024


12.15

बुधवार, 24 अप्रैल 2024

सोहबत

 शब्दों से यारी भावनाओं से मोहब्बत

भला फिर क्यों दिल को कोई सोहबत


खयालों में खिलते हैं नायाब कई पुष्प

हकीकत में गुजरते हैं लम्हें कई शुष्क

लफ़्ज़ों में लज्जा अदाओं का अभिमत

भला फिर क्यों दिल को कोई सोहबत


वक़्त बेवक्त मुसलसल जिस्म अंगड़ाईयाँ

एक कसक कि कस ले फ़िज़ा अमराइयाँ

वह मिलता है कब जब होता मन उन्मत्त

भला फिर क्यों दिल को कोई सोहबत


जब छुएं मोबाईल तब उनका नया संदेसा

लंबी छोटी बातों में अनहोनी का अंदेशा

कितना भी संभालें हो जाती है गफलत

भला फिर क्यों दिल को कोई सोहबत


बेफिक्र बेहिसाब मन डूबे दरिया-ए-शवाब

इश्क़ की सल्तनत पर बन बेगम, नवाब

एहसासों की सांसें झूमे सरगमी अदावत

भला फिर क्यों दिल को कोई सोहबत।


धीरेन्द्र सिंह


24.04.2024

10.01

मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

प्रणय आगमन

 प्रणय पल्लवन का करें आचमन

सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन


एक कविता उतरती है बनकर गीत

अपने से ही अपने की होती है प्रीत

मन नर्तन करे हो उन्मुक्त विहंगम

सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन


हंसकर बोलना कुछ मस्ती मजाक

यही प्यार है लोगों लेते हैं मान

प्यार का मूल लक्षण ही है तड़पन

सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन


हर बार हो छुवन करीब के कारनामे

कभी खुलकर हंसना कभी तो फुसफुसाने

यह है आकर्षण प्यार का धीमा खनखन

सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन


एक साधक की साधना सा है प्यार

धड़कन में यार का अविरल हो खुमार

विचारों में संवेदनाओं का हो नमन

सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन।


धीरेन्द्र सिंह


23.04.2024

18.01

सोमवार, 22 अप्रैल 2024

बहकते नहीं हैं

 दिल, दाग, दरिया दुबकते नहीं हैं

हृदय, हाय, हालत बहकते नहीं हैं


प्रयासों से हरदम प्रगति नहीं होती

पहर दो पहर में उन्नति कहीं होती

ना जाने कब होता समझते नहीं हैं

हृदय, हाय, हालत बहकते नहीं हैं


ना जाने कब कैसे उभरती मोहब्बत

दिल से दिल की अनजानी रहमत

अगर लाख चाहें यूं मिलते नहीं हैं

हृदय, हाय, हालत बहकते नहीं हैं


अर्चना से अर्जित है यही क्या सृजित

हृदय कामनाओं में बसा कौन तृषित

समझने की चेष्टा, समझते कहीं हैं

हृदय, हाय, हालत बहकते नहीं हैं


गरीबी, विवशता, लाचारी सब हैं शोषण

प्रणय में भी मिलता कहां सबको पोषण

हमें मत संभालो, हम लुढ़कते नहीं हैं

हृदय, हाय, हालत बहकते नहीं हैं।


धीरेन्द्र सिंह


22.04.2024

10.45

रविवार, 21 अप्रैल 2024

गुईंया

 कहां तक चलेगा संग यह किनारा

कहां तक लहरों की हलचल रहेगी

तुम्ही कह दो बहती हवाओं से भी

कब तक छूती नमी यह रहेगी


कहो बांध पाओगी बहती यह धारा

तरंगों पर कब तक उमंगें बहेगी

मत कहना कि वर्तमान ही सबकुछ

फिर वादों की तुम्हारी तरंगे हंसेगी


डरता है प्यार सुन अपरिचित पुकार

एक अनहोनी की शायद टोली मिलेगी

कहां कौन प्यार खिल रहा बारहमासी

मोहब्बत भी रचि कोई होली खिलेगी


अधर, दृग, कपोल रहे हैं कुछ बोल

एक मुग्धित अवस्था आजीवन चलेगी

कहीं ब्लॉक कर निकस जाएं गुईंया

मुड़ी जिंदगी तब निभावन करेगी।


धीरेन्द्र सिंह


21.01.2024

11.56

शनिवार, 20 अप्रैल 2024

मचान

जैविक देह दलान है

मनवा का ढलान है

सरपट भागे आड़ाटेढ़ा

दूर लगे मचान है

 

करधन टूटी बर्तन टूटा

कौन मगन कौन रूठा

लगता भेड़ियाधसान है

दूर लगे मचान है

 

अक्कड़-बक्कड़ मुम्बई बो

छोड़ बनारस गए खो

भाषा वही बदला परिधान है

दूर लगे मचान है

 

जैविक जीव की लाचारी

मनवा गांव की बारी-बारी

धड़ ऊपर कमरधसान है


दूर लगे मचान है।

 

धीरेन्द्र सिंह

19.04.2024

17.35

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024

नरम हो गए

 पचीसों भरम के करम हो गए

याद आए तो हम नरम हो गए


मन की आवारगी की कई कुर्सियां

अनगढ़ भावों की बेलगाम मर्जियाँ 

ना जाने किसके वो धरम हो गए

याद आए तो हम नरम हो गए


एक नए में नएपन की अकुलाहट

भव्यता चाह की हरदम फुसफुसाहट

न जाने कब हृदयभाव, बरम हो गए

याद आए तो हम नरम हो गए


सब जगह से किए ब्लॉक, वह तपाक

भोलापन न जाने, ब्लॉक टूटता धमाक

दूजी आईडी से मार्ग बेधरम हो गए

याद आए तो हम नरम हो गए


ऑनलाइन में होती कहां लुकी-छिपी

मूंदकर आंखें खरगोश सी पाएं खुशी

उनके किस्से भी आखिर सहन हो गए

याद आए तो हम नरम हो गए।



धीरेन्द्र सिंह

19.04.2024

16.21