और बोलो ना उदास दिल
है बहुत 
तुमको सुनने की तमन्ना
उभर आई है
खुद से भाग कर तुम
तक जाऊँ 
फिर लगे रोशनी नस-नस
में भर आई है 
तुम ही हिम्मत हो, दृढ़ इरादे की डोर 
भोर की पहली किरण जैसे पुरवाई है 
तुम जब बोलती हो लगे गले ऊर्जा
तुमसे ही मांगती यह
भोर अरुणाई है
कोमल, कंचनी काया में लचक खूब
हर आघात सह ले, अनगिनत बधाई है 
आसमान से भी विशाल आँचल तले
ज़िंदगी हमेशा मंज़िल अपनी पायी है 
मैं तुम्हें प्यार कहूँ या जीवनाधार 
दे दिया अधिकार क्या खूब कमाई है
पौरुषता पर निरंतर कृपा अपार 
नारी नमन तुम्हें गज़ब की अंगनाई है।   
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.