मंगलवार, 3 दिसंबर 2024

कवि सम्मेलन

 शब्द किसी दायरे के रूप हो गए

रचनाकार रचकर स्वयं अनूप हो गए


दायरा यह शब्द का व्यक्ति का भी

अनवरत जुगाड़ में यह रचनाकार सभी

साहित्य गुट में गुटबाज खूब हो गए

रचनाकार रचकर स्वयं अनूप हो गए


वही रचनाएं वही कुम्हलाई गलेबाजी

यह मंच क्या बने रची हिंदी जालसाजी

जहां मंच वहीं साहित्य सबूत हो गए

रचनाकार रचकर स्वयं अनूप हो गए


एक रचनाकार होता मंच पर अपवाद

उसके दम पर संयोजन साहित्यिक दाद

आयोजक भी पुड़िया के भभूत हो गए

रचनाकार रचकर स्वयं अनूप हो गए।


धीरेन्द्र सिंह

03.12.2024

06.26