मन अगन लगन का गगन
मन दहन सहन का बदन
प्रतिपल अनंत की ओर उड़े
प्रति नयन गहन रचे तपोवन
प्रतिभाव निभाव का आश्वासन
प्रतिचाह सघन का रचे सहन
मन हर चाह को है अर्पण
मन हर आह का करे मनन
मन चाहे मन में डूबना हर्षित
मन संग व्यक्ति बहे बन पवन
मन मुग्धित होकर कहे मनभावन
मन समझे ना यह पुकार लगन
मन मेरा लिए आपका मन भी
दें अनुमति मन करे मन आचमन।
धीरेन्द्र सिंह
07.07.2025
10.47