सुनो में एक हद हूँ
और तुम बेहद
बात इसमें यह भी
मैं बेअदब हूँ
और तुम संग अदब,
है न गज़ब!
हम में विरोधाभास
पर मैं हताश
और तुम आकाश
बात इसमें यह भी
मैं प्रणयवादी हूँ
और तुम व्यवहारवादी
है न गज़ब!
हम में भी यह विकास
तुम दूसरे राज्य
मुझे लगो तुम साम्राज्य
बात इसमें यह भी
मैं लौ दीपक
पर तुम प्रकाश
है न गज़ब!
हम स्पष्ट विरोधाभास
मूल हित संस्कार तोड़ता बेड़ियां
तुम प्रगतिशील भूल पीढियां
बात इसमें यह भी
मैं मात्र आस
और तुम मधुमास
है न गज़ब।
धीरेन्द्र सिंह
17.08.2025
21.06
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