प्रगति सकल चिंतन हो एक सामाजिक गणवेश
ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश
सज्जा मनोभाव की करने का है यह एक प्रयास
गौरव है प्राप्त होता श्री गणेश करें गृह निवास
दीवारों से पूछिए कैसा हो जाता है अद्भुत परिवेश
ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश
अपनी अनुभूतियों का अब और ना करूँ बखान
गणेशोत्सव परंपरा के सृजनकर्ता हैं अति महान
श्री गणेश इस अवधि में देते आशीष शक्ति विशेष
ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश
करबद्ध खड़ा हूँ वचनबद्ध आबद्ध स्वयं से सम्बद्ध
गणपति विराजे हैं तो भाव से हूँ आपूरित निबद्ध
आपका भी मंगल हो दंगल अब जीवन का संदेश
ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश🙏🏻
धीरेन्द्र सिंह
27.08.2025
16.28