गुरुवार, 7 अगस्त 2025

संस्कार

 जैसा देखा जीवन वैसा निर्मित आकार

आदर्श, नैतिकता संग बनता है संस्कार


कुछ परंपरा से मिली जीवन की आदत

कुछ परिवेश से भी बढ़ जाती है लागत

कुछ शिक्षा, दीक्षा का ले बढ़ते हैं आधार

आदर्श, नैतिकता संग बनता है संस्कार


अधिकांश होते अपने धर्म की किलकारी

विरले ही करते परिस्थिति तर्क से यारी

कहीं देह निर्वाण कहीं देह लज्जा व्यवहार

आदर्श, नैतिकता संग बनता है संस्कार


वर्तमान में द्रुत परिवर्तन से जीते मुहं मोड़

देखा, जीया है नहीं पढ़-सुन कहें इसे तोड़

अपनी-अपनी लक्ष्मण रेखा में ही झंकार

आदर्श, नैतिकता संग बनता है संस्कार


धन, संपदा, वैभव, ख्याति के जो अनुयायी

ऐसे यथार्थ समझे बिना जो पाया पगुरायी

बौद्धिक होना गहन साधना तर्क हवन आधार

आदर्श, नैतिकता संग बनता है संस्कार।


धीरेन्द्र सिंह

08.08.2025

12.12