गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

शब्दों को चाहिए

व्यक्ति में यदि भाव हैं तो लगे सुघड़
महज पत्थर पर तो चलते हैं हथौड़े
अनुभूति का अंदाज़ हो तो लगे जांबाज
वरना तो सभी जी लेते अक्सर थोड़े-थोड़े

शब्दों को चाहिए सुनार की सी चोट
भावों का आभूषण कला को हो निचोड़े
अभिव्यक्ति हृदय को कर दे आंदोलित
वरना तो सभी लिखते हैं एहसास तोड़े-मोड़े।

धीरेन्द्र सिंह

तुमको जी लूँ

तुमको जी लूँ तो जन्नत में पाऊं
कहो आत्मने कब डुबकी लगाऊं
नहीं तन, मन तक है मेरी मंजिल
साहिल से कह दो तो बढ़ मैं पाऊं

बदन का जतन सुख की काया बने
मन का वतन पाकर ध्वज फहराउं
कह दो बदन को क्यों मुझसे रंजिश
नयन जब तक न चाहें, मन कैसे पाउँ।

धीरेन्द्र सिंह