रविवार, 29 जून 2025

मुक्तिवाद

 एक बात पर संवाद कर निनाद

एक नाद भर विवाद पर आबाद

मेरे मन में चहलकदमी आपकी

चलता रहे यह और मैं रहूं नाबाद


एक युद्ध है जीवन एक खेल भी

एक मेल आपसे सतत जिंदाबाद

एक भेल कल्पनाओं का मिल भरें

मन प्लेट सा खाली है बिन स्वाद


सौंदर्य आपका कब से करे मोहित

अभिव्यक्तियाँ निखर करे नित याद

सावनी बदली सा मन घटा बन छाई

दुहाई जबर हो बस चाहे निर्विवाद


क्यों करें बातें क्यों दर्शाएं अपनापन

यह सोच छोड़िए बेचैन है दिल प्रासाद

एक प्रयास है सायास है एक आस है

आप पास हैं विश्वास हैं कहे मुक्तिवाद।


धीरेन्द्र सिंह

29.06.2025

19.14