एक बात पर संवाद कर निनाद
एक नाद भर विवाद पर आबाद
मेरे मन में चहलकदमी आपकी
चलता रहे यह और मैं रहूं नाबाद
एक युद्ध है जीवन एक खेल भी
एक मेल आपसे सतत जिंदाबाद
एक भेल कल्पनाओं का मिल भरें
मन प्लेट सा खाली है बिन स्वाद
सौंदर्य आपका कब से करे मोहित
अभिव्यक्तियाँ निखर करे नित याद
सावनी बदली सा मन घटा बन छाई
दुहाई जबर हो बस चाहे निर्विवाद
क्यों करें बातें क्यों दर्शाएं अपनापन
यह सोच छोड़िए बेचैन है दिल प्रासाद
एक प्रयास है सायास है एक आस है
आप पास हैं विश्वास हैं कहे मुक्तिवाद।
धीरेन्द्र सिंह
29.06.2025
19.14