शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

स्व

 

सर्जना का उन्नयन हो अर्चना दे विश्वास

आत्मा जब लेती है जकड़ अपने बाहुपाश

 

मन करता सर्जना लिपटाए प्रकृति अनुराग

स्व में सृष्टि समाहित हँस करती द्वाराचार

धरा स्वयं में हरी-भरी मिले नीला आकाश

आत्मा जब लेती है जकड़ अपने बाहुपाश

 

जग लगता अवचेतन मन भीतर ही चेतन

स्पंदित, सुगंधित, समंजित है स्वधन

निपट अकेला संग जीवन खेला होता आभास

आत्मा जब लेती है जकड़ अपने बाहुपाश

 

इससे बोलो उसको फोन मन जैसे हो द्रोन

स्व मरीन अकुलाहट, बेचैनी दोषी फिर कौन

दुनियादारी दायित्व तलक फिर अपना आकाश

आत्मा जब लेती है जकड़ अपने बाहुपाश।

 

धीरेन्द्र सिंह


26.01.2024

19.19

बुधवार, 24 जनवरी 2024

दिल एक

 

कोई तो बताए एक से अधिक प्यार

दिल एक कैसे अनेक का अधिकार

 

पंखुड़ी की ओस में लिपट भावनाएं

सुगंध सी प्रवाहित होकर कामनाएं

पलकों से उठा चूनर करें अभिसार

दिल एक कैसे अनेक का अधिकार

 

रिश्ता तोड़ गयीं छोड़ गयीं महारानी

क्या यह उचित ढूंढें एक देवरानी

प्यार का भी अंग होता है प्रतिकार

दिल एक कैसे अनेक का अधिकार

 

माना कि बेखुदी मैं जाते हैं लट उलझ

यह एक दुर्घटना है प्यार ना सहज

दूसरों में ढूंढते एक उसी की झंकार

दिल एक कैसे अनेक का अधिकासर।

 

धीरेन्द्र सिंह

24.01.2024

22.58

रविवार, 21 जनवरी 2024

रामजन्मभूमि

 

झंडों ने सड़कों को इजाजत दे दी

भक्ति दे दिया और इबादत ले ली

 

आक्रमणकारी मुगल वंश का था दंश

हमसे ही हमारा चुरा लिया था अंश

मानसिक पहल ने वही इजाजत दे दी

भक्ति दे दिया और इबादत ले ली

 

रा मलला मंदिर सनातन का है गर्व

आततायियों ने सोचा बंद हो यह पर्व

सर्वोच्च न्यायालय ने राम महारत देखी

भक्ति दे दिया और इबादत ले ली

 

धार्मिक सौहार्द्रता भारत के रग बसा

अयोध्या में ही भव्य मस्जिद रचा

सनातन देता हर धर्मों को नव वेदी

भक्ति दे दिया और इबादत ले ली

 

22 जनवरी वर्ष 24 का है इतिहास

साक्ष्य विश्व होकर देखे सनातनी आस

आस्था ने विस्थापित को मात दे दी

भक्ति दे दिया और इबादत ले ली।

 


धीरेन्द्र सिंह

21.01.2024

23.25