मंगलवार, 9 जुलाई 2024

सुन न

 तुम न, पुष्प में तीर का अदब रखती हो

सुन न, सुप्त के धीर सा गजब करती हो

 

आत्मसंवेदना एकाकार हो स्वीकार करने लगें

आत्मवंचना द्वैताकार को अभिसार करने लगे

धुन न, विलुप्त सी प्राचीर जद बिहँसती हो

सुन न, सुप्त के धीर से गजब करती हो

 

आप, तुम, तू आदि शब्द भाव प्रणय संयोजन

संबोधन है पुचकारता हो उत्सवी नव आयोजन

गुन न, गुणवत्ता में कितनी और निखरती हो

सुन न, सुप्त के धीर में गजब करती हो

 

तू शब्द प्यार में संबोधन गहन रचे मदभार

तू संबोधित ईश्वर असहनीय हो अत्याचार

बुन न, प्रीत चदरिया जिसमें रश्मि बिखरती हो

सुन न, सुप्त के धीर में गजब करती हो।

 

धीरेन्द्र सिंह

11.07.2024

06.30

गुरुवार, 4 जुलाई 2024

सांझ सूरज

 किसी के सांझ की पश्चिमी सूरज लालिमा

पलक आधार बन कर रहें मुग्धित तिरोहित

पवन कुछ शीतल झोंके से है रही ढकेल 

श्याम परिधान में आगमन श्यामल पुरोहित


ठगे से रह गए हतप्रभ देखकर क्षितिज 

हृदय भाव श्रृंगारित सांझ आभा आधारित

आखेटक ही लेते जीत विचरती वन उमंगे

नयन रहा समेट चुपचाप परिवेश प्रसारित


कहां कब कौन छोड़े साथ हो अकस्मात

चलन राह पर होती भावनाएं प्रताड़ित

दम्भ का खम्भ कहे हम ही हरदम हम 

सांझ सूरज कहे प्यार न होता निधारित।


धीरेन्द्र सिंह

05.07.2024

10.53




टी 20

 टी20 विश्वकप वर्ष 24 विजेता नाबाद

समर्पित प्रतिभा का विश्वव्यापी निनाद


एकल प्रदर्शन ले अपने कौशल का साथ

दीवानगी इतनी कि प्रभावित दर्शक हाँथ

कभी नाम खिलाड़ी तो भारत जिंदाबाद

समर्पित प्रतिभा का विश्वव्यापी निनाद


कौन था सजाया रहस्य क्रिकेट सुलझाया

प्रतिभाओं को माँज दिव्य ऊर्जा जगाया

बुद्ध की एकाग्रचित्तता राम सा युद्ध नाद

समर्पित प्रतिभा का विश्वव्यापी निनाद


मुंबई मरीन ड्राइव असंख्य जनबल सुहाई

नवांकुर क्रिकेट प्रतिभा बैट बॉल अमराई

अपार भीड़ फिर आए ऐसे इसके भी बाद

समर्पित प्रतिभा का विश्वव्यापी निनाद।


धीरेन्द्र सिंह

05.07.2024

09.37



बाधित

 केबल ही बंद कर दिए तरंगें बाधित

यह श्राप नया है प्रौदयोगिकी बाधित

 

कर दिए ब्लॉक मनोभाव की शुष्नुमाएं

नाड़ियां स्पंदित भाव सोच कहां जाएं

केबल लगे केंचुल सनक में सम्पादित

यह श्राप नया है प्रौद्योगिकी बाधित

 

बेतार का तार कई जीवन रहा संवार

आप केबल ठेपी परे, अबोला है तार

ताक-झांक चहुंओर निःशब्द मर्यादित

यह श्राप नया है प्रौद्योगिकी बाधित

 

हर पर्दे से सशक्त प्रौद्योगिकी का पर्दा

अश्व असंख्य मनोभाव के उडें ना गर्दा

अदृश्य अलौकिक बन मन में अबाधित

यह श्राप नया है प्रौद्योगिकी बाधित।

 

धीरेन्द्र सिंह

05.07.2024

07.22