बुधवार, 10 अप्रैल 2024

बेअसर हो गए

 मिले जबसे धुनसे बेअसर हो गए

आपकी भावनाओं के सहर हो गए


उर्दू सी जो चली तो ग़ज़ल हो गई

देवनागरी सी तुम फिर सजल हो गई

भावनाओं के मजमें ग़दर हो गए

आपकी भावनाओं के सहर हो गए


भाषाएं भी अपनी दखल की दीवानी

प्यार में तो उलझी मोहब्बत की कहानी

दीवानगी में गज़ब के सफर हो गए

आपकी भावनाओं के सहर हो गए


चाहतों के लिए खुशियों की चदरिया

कबीरा में कहते अनूठी है नगरिया

कैसे-कैसे मोहब्बत में अमर हो गए


आपकी भावनाओं के सहर हो गए।


धीरेन्द्र सिंह

10.04.2024

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