सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

अभिनय

 अभिनय


अपूर्णता सुधार में सर्जक बन क्षेत्री

अभिनय हैं करते अभिनेता-अभिनेत्री


हम सब स्वभावतः अभिनय दुकान हैं

जितना अच्छा अभिनय उतना महान है

कामनाएं पूर्ति में सजग प्रयास की नेत्री

अभिनय हैं करते अभिनेता-अभिनेत्री


अब कहाँ सामर्थ्य बिन आवरण बहें

असत्य को सत्य सा प्रतिदिन ही कहें

बौद्धिक हैं विकसित हैं मानवता गोत्री

अभिनय हैं करते अभिनेता-अभिनेत्री


क्षद्म रूप विवशता है जग की स्वीकार्य

स्वार्थ ही प्रबल दिखावा कुशल शिरोधार्य

समाज प्रगतिशील हैं व्यक्ति बंद छतरी

अभिनय हैं करते अभिनेता-अभिनेत्री।


धीरेन्द्र सिंह

07.10.2025

04.31

रविवार, 5 अक्टूबर 2025

आँधियाँ

आँधियाँ


प्रतिदिन दुख-सुख की आंधियां हैं

व्यक्ति तैरता समय की कश्तियाँ हैं

रहा बटोर अपने पल को निरंतर ही

कहीं प्रशंसा तो कहीं फब्तियां हैं


अर्चनाएं टिमटिमाती जुगनुओं सी

कामनाओं की भी तो उपलब्धियां हैं

हौसला से फैसला को फलसफा बना

दार्शनिकों सी उभरतीं सूक्तियाँ हैं


जूझ रहा हवाओं से लौ की तरह

पराजय में ऊर्जा की नियुक्तियां हैं

अपना जीवन रंग रहा बहुरंग सा

रंगहीन हाथ लिए कूंचियाँ है


अर्थ कभी सम्बन्ध तो मिली उपलब्धि

जिंदगी बिखरी इनके दरमियाँ हैं

वही नयन आज भी उदास से हैं

सख्ती बढ़ रही अब कहाँ नर्मियाँ हैं।


धीरेन्द्र सिंह

05.10.2025

16.39



शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

तख्तियां

अपनी अभिव्यक्तियों की आसक्तियां हैं

कैसे रोकें कि कई नियुक्तियां हैं

हृदय में किसने कहा है रिक्तियां

अनेक लिए आग्रह तख़्तियाँ है


कई विकल्प लुभाने को हैं आतुर

वश में कर लिए उनके दरमियाँ हैं

कहीं तो ठंढी सांसे ढूंढें सरगम

चलन चहक उठा बढ़ी गर्मियां है


कई चिल्ला रहे बढ़ता हुआ शोर है

जो हैं समर्थ उनकी मनमर्जियाँ है

अलाव हथेलिगों में लेकर चल पड़े

पड़नेवाली गजब की जो सर्दियां है।


धीरेन्द्र सिंह

03.10.2025

14.41



गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025

चाहत

चाहता कौन है पता किसको 
धड़कनें सबकी गुनगुनाती हैं
चेहरे सौम्य शांत प्रदर्शित होते
मन के भीतर चलती आंधी है

एक ठहरे हुए तालाब सा स्थिर
जिंदगी तलहटों में कुनकुनाती है
तट पर हलचल की अभिलाषी
लहरें उमड़ने की तो आदी हैं

स्वभाव विपरीत जीना है यातना
जिंदगी यूँ तो सबकी गाती है
निभाव खुद से खुद करे जो
चाहतें वहीं महकती मदमाती हैं।

धीरेन्द्र सिंह
03.10.2025
07.35