बुधवार, 27 अगस्त 2025

पधारे मेरे घर

 प्रगति सकल चिंतन हो एक सामाजिक गणवेश

ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश


सज्जा मनोभाव की करने का है यह एक प्रयास

गौरव है प्राप्त होता श्री गणेश करें गृह निवास

दीवारों से पूछिए कैसा हो जाता है अद्भुत परिवेश

ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश


अपनी अनुभूतियों का अब और ना करूँ बखान

गणेशोत्सव परंपरा के सृजनकर्ता हैं अति महान

श्री गणेश इस अवधि में देते आशीष शक्ति विशेष

ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश


करबद्ध खड़ा हूँ वचनबद्ध आबद्ध स्वयं से सम्बद्ध

गणपति विराजे हैं तो भाव से हूँ आपूरित निबद्ध

आपका भी मंगल हो दंगल अब जीवन का संदेश

ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश🙏🏻


धीरेन्द्र सिंह

27.08.2025

16.28

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