रविवार, 27 अप्रैल 2025

रहस्यमय

 भोर में

टर्मिनल 3 पर

लगातार अर्धसैनिक

चार-पांच के झुंड में

आते जा रहे थे

और कुछ देर में 

गेट 46-47 की

सभी कुर्सियों पर

अर्धसैनिक ही थे,


कभी नहीं देखा था

इतनी भीड़

और इन कुछ सैनिकों को

यह बातें करते हुए कि

गोली लगी थी

किसे

सुन न सका,

कुछ युवा सैनिक

धूपी चश्मा लगा

अपना वीडियो

बना रहे थे

और कुछ कर रहे थे

बातें वीडियो द्वारा

संभवतः अपनी पत्नी से,


श्रीनगर फ्लाइट की

घोषणा हुई

और

सभी अर्धसैनिक उठे

और बढ़ते गए

जहाज की ओर

आकाश 

कर रहा था स्वागत

और एक बार फिर

लगने लगा आकाश

रहस्यमय।


धीरेन्द्र सिंह

27.04.2025

06.39

टर्मिनल 3, नई दिल्ली

सोमवार, 21 अप्रैल 2025

किसान

 गेहूं की फसल खड़ी

पगडंडी अविराम है

कृषक कहां कृषकाय

खेती तो अभिमान है


फसलें भी हैं चित्रकारी

कृषि तूलिका तमाम हैं

अर्थव्यवस्था अनुरागी यह

खेत की मिट्टी धाम है


गांवों के सुंदर हैं घर

सभी सुविधाएं सकाम हैं

आंगन धूप, हवा आए

छत में जाली आम है


नहीं मोटापा नहीं बीमारी

माटी-मेहनत तान है

खुशहाली में है किसानी

अन्नदाता का सम्मान है।


धीरेन्द्र सिंह

22.04.2025

07.10




रविवार, 20 अप्रैल 2025

एक्सप्रेसवे

 तपती-जलती सड़कें

और उसपर

दौड़ता-भागता परिवहन

सड़क के दोनों ओर

कभी ढूर-ढूर तक भूरी जमीन

तो कभी जंगल और पहाड़,

गंतव्य की ओर

जाना भी कितना कठिन,

टोल प्लाजा

नीले रंगपर

सफेद अक्षरों में 

स्वागत करता और लेन संख्या

बतलाता है,

हर परिवहन

अपना शुल्क चुकाता है;


सड़कें अब

सड़क नहीं हैं

वह या तो उच्च पथ

या एक्सप्रेसवे हैं

जो नहीं गुजरती

शहरों के बीच से

बल्कि गुजर जाती हैं,

न बस्ती जाने

न शहर

परिवहन गतिशील

चारों पहर,

लंबी

बहुत लंबी सड़क

चार लेन की 

क्षितिज में

विलीन होती

प्रतीत होती है,


व्यक्ति भी

अपनी भावनाओं के वाहन पर

अपने लक्ष्य की ओर

चला जा रहा,

कुछ लोग करीब हैं

कुछ रिश्ते से बंधे है

सब लगे साथ चल रहे हैं

पर

साथ का एक भ्रम है,

सबकी राह, गति

अलग है

जीवन पथ

और एक्सप्रेसवे में

समानता है,

न जाने कब कौन

बढ़ जाए ओवरटेक करते

बस फर्क है तो

वाहन की प्रवृत्ति में,


टोल प्लाजा

आते जा रहे हैं

व्यक्ति शुल्क चुकाते

बढ़े जा रहे हैं,

हर जीव का मोल है

जीवन अनमोल है।


धीरेन्द्र सिंह

20.04.2025

12.29

मुम्बई-दिल्ली एक्सप्रेसवे।




शनिवार, 19 अप्रैल 2025

मयेकर वाड़ी

 एक लड़की

हर सुबह

ले चाय का कप

बैठती है पत्थर पर

और बातें करती हैं

पत्तियों से, नारियल वृक्ष से

पूछती हालचाल

डाल की

प्रकृति के भाल की,


एक लड़की

अपनी वाड़ी

घने वृक्ष से कर सुसज्जित

करती है आतिथ्य

अपने गेस्ट हाउस में,

व्यक्तिगत रुचि

भोजन सुरुचि

आतिथ्य श्रेष्ठ

कौन इससे ज्येष्ठ?


घने वृक्ष

सागर तट

एक लड़की संवारे

आतिथ्य पट

अतिरंगी, अविस्मरणीय

सागर के झोंको संग

घने वृक्षों के बी

मराठी, हिंदी, अंग्रेजी में

सुगंधित हवा की तरह

बहती रहती है,

कौन भूल सकता है

ऐसे स्थल को, जहां

आत्मीय सत्कार हो

अतिथि की जयकार हो

नारी गरिमा झंकार हो,


प्रकृति की फुसफुसाहट

सागर लहरों की आहट

पक्षियों की चहचआहट

तो कौन भला

न हो अलबेला

बन प्रकृति मनचला

सागर लहरों संग

न गुनगुनाए

महकती हवाएं

अविस्मरणीय आगिथ्य पाए,


मएकर वाड़ी

अलीबाग, महाराष्ट्र

संचालित

एक नारी द्वारा

यह विज्ञापन नहीं

जो एक बार जाए

चाहे जाना दोबारा।


धीरेन्द्र सिंह

14.04.2025

22.26

गुरुवार, 17 अप्रैल 2025

वह

 प्रेम मेरा बंध चुका है

वक़्त से वह नुचा है

वह कविताएं पढ़ती है

भाव ना कोई जुदा है


प्रेम कलश एक होता

ब्याह संग क्या जुड़ा है

परिणय दुनियादारी है

अवसर पा व्यक्ति मुड़ा है


दायित्वों का निर्वहन हो

ना लगे कोई लुटा है

कामनाएं निज जगे तो

कौन रिश्तों में मुदा है


क्षद्म जीवन, क्या मिले

अंतर्मन तुड़ा-मुड़ा है

आज भी है याद आती

मुंह मुझसे मुड़ा है।


धीरेन्द्र सिंह

18.04.2025

06.01

बुधवार, 16 अप्रैल 2025

अमृता प्रीतम

 हिंदी साहित्य जगत में

सत्तर, अस्सी का दौर

जहां

लेखक प्रबल थे

प्रतिभाशाली थे समीक्षक 

और था दबदबा

हिंदी साहित्य लेखन का,


अमृता प्रीतम, इमरोज और

साहिर लुधियानवी,

इस तिकड़ी का चला दौर,

अमृता प्रीतम थीं

भारतीय साहित्य की

प्रथम व्यक्तिगत संपर्क (पीआर) प्रणेता,

लेखन के बलबूते पर

समीक्षकों के सहयोग और

मंच की सदुपयोगिता

कर दी चर्चित

अमृता प्रीतम की प्रणय गाथा,


अपने दौर के 

सभी प्रेमियों को

देती करारी मात

अमृता प्रीतम ने

किया स्थापित अपना साम्राज्य,

कुशल लेखन, रुचिकर अभिव्यक्ति

पी आर प्रबंधन,

लोग भूले अपनी शैली

या प्यार बना पहेली, और

सभी प्रेमियों की आदर्श

हो गईं अमृता प्रीतम,


इमरोज और साहिर लुधियानवी

प्रेम के दो चरित्र

मानो किसी उपन्यास के

दो कल्पित पात्र

और अमृता प्रीतम

अजेय प्रेम मल्लिका

जिसे अब भी देश गा रहा है,


प्रबंधन के महाविद्यालयों में

"अमृता प्रीतम प्यार प्रबंधन"

का प्रशिक्षण का हो अनुबंध,

किसी भारतीय रचनाकार का

अमृता सा ना रहा प्रबंध,

साहित्य लेखन में

कुछ ना क्लिष्ट है,

अमृता प्रीतम

इसीलिए विशिष्ट हैं।


धीरेन्द्र सिंह

14.04.2025

20.05



मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

मूल्य

 आइए संयुक्त मिल रचना करें

साहित्य में मिल कुछ गहना धरें

आप भी बुनकर तो बेमिसाल हैं

युग्म से रच स्वर्ण अंगना भरें


दस ग्राम स्वर्ण मूल्य एक लाख

खरीदें या बेचें चंचल चाह आंख

और कितने शब्द थकते दुःख हरे

सुनहरा हो रसभरा यूं रचना करें


मूल्य सबका बढ़ रहा, यहां स्थिरता

क्या कहीं कमजोर पड़ती, निर्भरता

हाँथ मेरा बढ़ चुका संग उमंग गहें

हम भी मूल्यवान हों लयबद्ध बहें


समय सबको जोड़ता है तोड़ता है

सजग जो रहें समय भी जोड़ता है

स्वर्णमुद्रा सा सब शब्द दीप्तिभरे

चिंतन, मनन करें संग रंग सुनहरे।


धीरेन्द्र सिंह

16.04.2025

12.22