उत्तरकाशी का धराली गाँव
गंगोत्री यात्रा का प्रमुख पड़ाव
बादल फटा मलबा बहा प्रचंड
देखते ही देखते कई घर घाव
प्रकृति के करीब प्रकृति अनुसार
व्यक्ति कामना प्रबल बढ़ते द्वार
बादल फटा नदी भरी मलबा धाव
देखते ही देखते कई घर घाव
पहाड़ रहे टूट सागर को रहे पाट
वृक्ष भी कट रहे प्रगति का ठाट
मनुष्य प्रकृति में करे विस्तार प्रस्ताव
देखते ही देखते कई घर घाव
अग्नि, जल, वायु सर्वशक्तिमान हैं
मनुष्य प्रगति के भी कई दांव हैं
धराली पुनः संकेत दे प्रकृति छांव
देखते ही देखते कई घर घाव।
धीरेन्द्र सिंह
05.08.2025
15.57
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