अपशब्द कहिए हिंदी साहित्यकारों को
हिंदी में नया सार्थक करना कठिन है
गुटबंदी, चाटुकारिता विभिन्न विशेषण
सत्तर के दशक से हिंदी के यही दिन है
हिंदी और उर्दू को सगी बहन रहिए कहते
हिंदी की लिपि हिंदी के लगे दुर्दिन है
ना मंच मिला ना ही उद्घोषणा अवसर
अब हिंदी अंग्रेजी मिश्रित ताकधीन हैं
न्यायालयों और थाने की भाषा रही उर्दू
हिंदी उपेक्षा सतत हाशिए की गाभिन है
सभ्यता और संस्कृति से सीधे जुड़ी भाषा
वर्तमान में हिंदी कुछ राज्य में दीन है
हिंदी साहित्य का इतिहास चिंतन प्रथम
भारतीय संविधान राजभाषा नीति साथिन है
पाठ्यपुस्तकों की हिंदी की गुणवत्ता देखिए
चुनौतियां बहुत पर हिंदी किस अधीन है
वर्षों सीधे हिंदी प्रयोग से जो हैं जुडें
वह कर्म करते आरोपों के ना भिन-भिन हैं
अपनी योग्यता से हिंदी को समर्थित करें
अधूरे हिंदी ज्ञानियों की गूंजती धुन है।
धीरेन्द्र सिंह
26.07.2025
23.55
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