"भूल गए लगता"
पढ़ क्या कहता
व्यस्तता कारण नहीं
प्यार रहता हंसता
लिख रहा आध्यात्मिक
चिंतन वहीं रहता
ऐसा यदि बोलूं
प्यार क्यों करता
चूके जाएं चपड़ियाएँ
कौन है सहता
चाहत बन चकोर
मेरा संदेश तकता
शालीन सी शिकायत
शंखनाद सा विचरता
समर्पण ही साध्य
प्यार ऐसे निखरता
वह रहें शांत
उनका संदेश धीरता
पहल नहीं करतीं
भाव चटपटा बिखरता।
धीरेन्द्र सिंह
24.07.2025
18.41
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