मंगलवार, 22 जुलाई 2025

आत्मपैठ

मुझे मजबूर करती है मोहब्बत तुम्हारी

कहो क्या सच में होगी सोहबत हमारी


प्रणय के पल्लवन पर है तुम्हारी चंचलता

हृदय तुमको सराहा है लिए व्याकुलता

हृदय कहता है तुम ही हो नमन दुलारी

कहो क्या सच में होगी सोहबत हमारी


मुझे मालूम हैं समवेत सामाजिक चपलता

मेरी आत्मा करे प्रसारित निज धवलता

मोहब्बत कुछ नहीं कुछ चाहतों की तैयारी

कहो क्या सच में होगी सोहबत हमारी


वही फिर ठौर अपना वही उभरे चंचलता

दिलफेंक हूँ जो प्यार पर अक्सर लिखता 

आध्यात्मिक यात्रा में आत्मपैठ की खुमारी

कहो क्या सच में होगी सोहबत हमारी।


धीरेन्द्र सिंह

23.07.2025

08.31




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