चैटिंग करते-करते
जब तुम बिन बोले
भाग जाती हो, तो
थम जाता हूँ मैं,
तुम्हारे भागने से
नहीं होती है हैरानी
तुम्हारी अदा है यह,
समेट लेता हूँ
सभी शब्द चैटिंग के
और करता हूँ गहन
विश्लेषण उनका कि
किस वाक्य ने तुम्हें
दौड़ने पर विवश किया
और किस शब्द से
लजा, घबड़ा भाग गई,
बन जाती है
एक कविता और
इस तरह
अक्सर तुम
भावनाओं से गुजर
चैटिंग के शब्दों को
दे जाती हो
भाव दीप्ति।
धीरेन्द्र सिंह
09.07.2025
23.25
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें