सोमवार, 7 मार्च 2011

आज महिला दिवस है

शब्द शंकर हो गए बनी भावनाएं भभूत
घंटियों की ध्वनि से बरस रहा रस है
शिखर पर फहरा रही हैं रंगीन पताकाएं
टोलियॉ गूंज उठी आज महिला दिवस है

श्रम, समर्पण, नयन दर्पण जिनका रिवाज़ है
पारिवारिक दायित्वों पर जिसका ही बस है
एक दिवस ऊभर कर नारी की गुहार करे
सर्जना पुकार रही आज महिला दिवस है

शून्य ऑखें ढूंढ रही कहीं अपना मचान
देहरी से बंधे कदम चले ना कोई बस है
शिक्षा, समाज, स्वतंत्रता के तड़प के बोल
खोल दो सांखल मिल आज महिला दिवस है

गॉव, नगर देखिए अब, जो  शहर से दूर हैं
अज्ञानता, अनभिज्ञता का अनर्गल तमस है
नारी आज मिल चलो विजय पथ की ओर
जीत की ज्योत जले आज महिला दिवस है.


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

12 टिप्‍पणियां:

  1. महिला दिवस की सुन्दर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  2. yah sankhal khol do aaj mahila divas hai , bahut achhi abhivyakti , badhai

    जवाब देंहटाएं
  3. महिला दिवस की शुभकामनाये
    अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. महिला दिवस पर सुंदर पोस्ट से आगाज़. महिलाएं सशक्त हों जिससे सिर्फ एक दिवस मनाने कि आवश्यकता ही समाप्त हो जाये. महिला दिवस पर सुंदर प्रस्तुति. शुभकामनाये.

    जवाब देंहटाएं
  5. महिला दिवस पर प्रस्तुत सार्थक ...भावपूर्ण रचना के लिए ...आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. आप अच्छा लिखते हैं ....शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  7. सच ये सारे संकल्प लेने पढेंगे आज के दिन .... आज दिन है कुछ कर दिखाने का ....

    जवाब देंहटाएं
  8. sunder rachna , badhi swekare ..
    aur meri rachna mahobbat thaher jati hai us per aap ki mahatvpurna tipanni ke liye bahot bahot dhanyavad...

    palak

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
    शुभकामनायें एवं साधुवाद !

    जवाब देंहटाएं