कोई तो बताए एक से अधिक प्यार
दिल एक कैसे अनेक का अधिकार
पंखुड़ी की ओस में लिपट भावनाएं
सुगंध सी प्रवाहित होकर कामनाएं
पलकों से उठा चूनर करें अभिसार
दिल एक कैसे अनेक का अधिकार
रिश्ता तोड़ गयीं छोड़ गयीं महारानी
क्या यह उचित ढूंढें एक देवरानी
प्यार का भी अंग होता है प्रतिकार
दिल एक कैसे अनेक का अधिकार
माना कि बेखुदी मैं जाते हैं
लट उलझ
यह एक दुर्घटना है प्यार ना सहज
दूसरों में ढूंढते एक उसी की
झंकार
दिल एक कैसे अनेक का अधिकासर।
धीरेन्द्र सिंह
24.01.2024
22.58
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें