भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
अकेले अस्तित्व का ही निनाद है
सत्य यह कि निजत्व का विवाद है
प्रश्रय पुंजत्व का मुग्ध पुष्पधारी पक्ष
प्रेम में दुरूहता उभरता जब यक्षप्रश्न
यथोचित उत्तर ही प्रमुख संवाद है