पोषण है कि शोषण रहे हैं उलझाए
एयरपोर्ट पर नारी रुदन चिंता जगाए
मौन हैं दुखी है या निरुत्तर है मायका
नेतृत्व परिवार नेतृत्व क्यों सकपकाए
अंग अपना दान करती पिता को पुत्री
उसी अंगदान को भंगदान कह चिढाएं
मीडिया के सामने अविरल बही अश्रुधारा
मायका रहा शांत जो सुना वह बुदबुदाए
भैया की कलाई पर अटूट विश्वासी राखी
मस्तक रचि तिलक मुहँ मीठा बहन कराए
कर त्याग मायके का कदम उठाए नारी यदि
अटूट रिश्ता है दरका समाज कैसे संवर पाए।
धीरेन्द्र सिंह
16.11.2025
21.38
