रविवार, 8 मई 2011

नेह तुम्हारा


अब भी मेरे नयन पुलकित
आस की राहें हैं हर्षित
कौन कहता चुक गया स्नेह
शब्द मेरे नहीं हैं कल्पित

नेह जब तक है तुम्हारा
कल्पना में तुम सा तारा
कर दिया है जग समर्पित
भावों से तुम्हारे हो समर्थित

उम्र बढ़ता सा मचान है
संवेदनाएं लिए गहन ज्ञान है
जीवन कर रहा अर्जित
शून्य स्वप्निल गहन अर्थित

मोड़ कितने छोड़ गए
तोड़ गए कुछ निचोड़ गए
एक बस आधार निर्मित
आशाओं के द्वार सुरभित.




भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता, 
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर गीत प्रस्तुत किया है आपने. और एक लाइन तो अत्यंत अद्भुत लगी, " उम्र बढ़ता सा मचान है, संवेदनाएं लिए गहन ज्ञान है"
    बधाई.

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  2. बहुत खूब लाइने लिख दी हैं आपने...

    क्या सीरत थी, क्या सूरत थी..
    पाँव छुए और बात बनी, अम्मा एक मुहूर्त थी...

    happy mothers day...

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  3. बस आशा बनी रहे तभी जीवन आगे चलेगा
    सुन्दर रचना। बधाई।

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  4. धीरेंद्र सिंहजी
    बहुत अच्छा लिखते हैं आप ।कितनी सच्चाई हिअ आपके प्यार में।
    कोई किसी को इतना निश्छल प्यार करता हो कम देखने मिलता है ।
    आपकी पंक्तियॉ कितना कुछ कहती हैं ।
    और हाँ जिसके लिए इतनी सुंदर रचनाएं की जाती हों ,वह कितना सुंदर होगा

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  5. umra badhta sa machaan hai
    samvednayen liye gahan gyaan hai
    ....
    bahut hi achhi rachna

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  6. नेह जब तक है तुम्हारा
    कल्पना में तुम सा तारा
    कर दिया है जग समर्पित
    भावों से तुम्हारे हो समर्थित
    हृदयस्पर्शी..... उत्कृष्ट रचना

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  7. उम्र बढ़ता सा मचान है, संवेदनाएं लिए गहन ज्ञान है...
    बहुत सुन्दर रचना.....

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  8. बहुत खूबसूरत रचना|धन्यवाद|

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  9. सुन्दर रचना ..आभा बिखेरती हुई सी ..

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