अब भी मेरे नयन पुलकित
आस की राहें हैं हर्षित
कौन कहता चुक गया स्नेह
शब्द मेरे नहीं हैं कल्पित
नेह जब तक है तुम्हारा
कल्पना में तुम सा तारा
कर दिया है जग समर्पित
भावों से तुम्हारे हो समर्थित
उम्र बढ़ता सा मचान है
संवेदनाएं लिए गहन ज्ञान है
जीवन कर रहा अर्जित
शून्य स्वप्निल गहन अर्थित
मोड़ कितने छोड़ गए
तोड़ गए कुछ निचोड़ गए
एक बस आधार निर्मित
आशाओं के द्वार सुरभित.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
बहुत सुंदर गीत प्रस्तुत किया है आपने. और एक लाइन तो अत्यंत अद्भुत लगी, " उम्र बढ़ता सा मचान है, संवेदनाएं लिए गहन ज्ञान है"
जवाब देंहटाएंबधाई.
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लाइने लिख दी हैं आपने...
जवाब देंहटाएंक्या सीरत थी, क्या सूरत थी..
पाँव छुए और बात बनी, अम्मा एक मुहूर्त थी...
happy mothers day...
बस आशा बनी रहे तभी जीवन आगे चलेगा
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना। बधाई।
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंधीरेंद्र सिंहजी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखते हैं आप ।कितनी सच्चाई हिअ आपके प्यार में।
कोई किसी को इतना निश्छल प्यार करता हो कम देखने मिलता है ।
आपकी पंक्तियॉ कितना कुछ कहती हैं ।
और हाँ जिसके लिए इतनी सुंदर रचनाएं की जाती हों ,वह कितना सुंदर होगा
umra badhta sa machaan hai
जवाब देंहटाएंsamvednayen liye gahan gyaan hai
....
bahut hi achhi rachna
Very touching and emotional creation Dhirendr ji .
जवाब देंहटाएंनेह जब तक है तुम्हारा
जवाब देंहटाएंकल्पना में तुम सा तारा
कर दिया है जग समर्पित
भावों से तुम्हारे हो समर्थित
हृदयस्पर्शी..... उत्कृष्ट रचना
उम्र बढ़ता सा मचान है, संवेदनाएं लिए गहन ज्ञान है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना.....
बहुत खूबसूरत रचना|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ..आभा बिखेरती हुई सी ..
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