सुतृप्ता, अतृप्ता, स्वमुक्ता
सुतृप्ता
एक नारी
एक रचना
एक कृति
एक वृत्ति
अतृप्ता
एक क्यारी
मति दुधारी
नया तलाशती
निस संवारती
स्वमुक्ता
एक अटारी
उन्नयनकारी
भाव चित्रकारी
ऋतु न्यारी
सुतृप्ता, अतृप्ता, स्वमुक्ता
जीवन इनसे चलता, रुकता
सुतृप्ता, स्वमुक्ता निधि सारी
अतृप्ता घातक साहित्य सूखता
अतृप्ता से बचने का हो उपाय
साहित्य हरण का लिए स्वभाव
लील जाए सर्जक और सर्जना
इसलिए लिखा, हो साहित्य बचाव।
धीरेन्द्र सिंह
11.01.2024
17.01
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें