शनिवार, 30 दिसंबर 2023

सिरहाने

 

मैंने तुमको बांध लिया सिरहाने से

जीवन उत्सव होता संग फहराने से

 

क्या घटता क्या बंटता समय आधीन

क्या बचता कब फंसता कर्म आधीन

पनघट रहे छलक भाव संग इतराने से

जीवन उत्सव होता संग फहराने से

 

कब बह जाओ संग समय किलकारी

कहीं रिक्तता रच कहीं नई चित्रकारी

स्वार्थ, भय लिया लपेट सिरहाने से

जीवन उत्सव होता संग फहराने से।

 


धीरेन्द्र सिंह

30.12.2023

13.17

मोहब्बत

 एहसासों के गुलाबी तहमत

खास सोहबत नहीं मोहब्बत


छुवन में हो भावनाएं

अनंत राह की कामनाएं

जिस्म-जिस्म भी जहमत

खास सोहबत नहीं मोहब्बत


व्यक्तिव ना दर्शनीय अस्तित्व

अस्तित्ब तो होता परिवर्तनीय

ठोस पहचान भी रहमत

खास सोहबत नहीं मोहब्बत


बहुत हो दूर, मगरूर

चाह का नूर, दस्तूर

बहुत दूर से निस्बत

खास सोहबत नहीं मोहब्बत।


धीरेन्द्र सिंह


30.12.2023

12.41

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

जिद

 

संवर जाने की जिद नयन जो किए

बदन तब महक चमन हो गया

पलकों की चांदनी छा गयी इस तरह

लगन अलमस्त दहन हो गया

 

मन की बारीकियां होंठ पर छा गयीं

भाव तत्परता से सघन हो गया

ढाँप कर कहन के वह कदम

फिर वही खूबसूरत वहम हो गया

 

देह की दिव्यता में नव अभिव्यक्तियां

आसक्तियों से बदन का नमन हो गया

मन व्याकुल बेचैन होने लगा

कैसे नयनों से भावों का गबन हो गया।

 


धीरेन्द्र सिंह

30.12.2023

02.54

असर कर गए

 इस तरह मन मेरे वह ग़दर कर गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए


युद्ध भावों का लंबे समय से है जारी

युक्ति, छल, कपट की उनकी तैयारी

मुझे चक्रव्यूह के नजर कर गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए


ना कृष्ण जैसे के हाथों में वल्गाएँ

ना अर्जुन सी धनुर्विद्या कामनाएं

निपट अकेला कर डगर धर गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए


युद्ध अनिवार्यता, है जीवन समाहित

स्वार्थ सर्वोच्च, लाभ का जिसमें हित

कौशल युद्ध जो सीखा बब्बर हो गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए


कैसे कह दूं है उनकी कोई यह चाल

लाभ व्यक्तिगत हेतु बनाया मुझे ढाल

चाहतों में फंस वह बसर कर गए

महाभारत सा मुझपर असर कर गए।



धीरेन्द्र सिंह

29.12.2023

15.59

बुधवार, 27 दिसंबर 2023

गुजरिया

 भाग्य के भंवर में प्यार की नगरिया

मोहें पाश बांध ले राह की गुजरिया


दिल दिलदार यह हो रहा है असरदार 

मिल एक ठाँह भाव युग्म हो रसधार

कहीं छांव बैठ बचाकर जग नजरिया

मोहें पाश बांध ले राह की गुजरिया


भावकलश में गंगाजल की हैं हिलोरें

अर्चना की प्रीत में संग गीत डुबो रे

पावनी अनुभूतियों संग चाह की बदरिया

मोहें पाश बांध ले राह की गुजरिया


परिचय अपरिचय संपर्क से होते तय

भावनाएं मिल गईं तो प्यार हो निर्भय

प्रणय की फुहार में श्रृंगार की रसबतिया

मोहें पाश बांध लें राह की गुजरिया।


धीरेन्द्र सिंह

27.12.20२3


09.16

पुणे

मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

मिलती हो

 तुम मुझे हवा की नमी में कहीं मिलती हो

तब कहीं फूल सी हृदय खिली मिलती हो


एक धर्म जिसका एक सा कर्म लिए प्रसार

एक लक्ष्य सबका एक सा प्यार लिए संसार

भाव मिलन के अनंत वितान में उड़ती हो

तब कहीं फूल सी हृदय खिली मिलती हो


मंद हवा शीतलता भरकर गली- गली में दौड़े

आनंद छुवा कृत्रिमता हरकर हिली-मिली कोड़े

परिवेश पहनकर मौसम बन उन्मुक्त विचरित हो

तब कहीं फूल सी हृदय खिली मिलती हो


जब छूना छू लेती हो धरा गगन के रूप

मन अंधियारा जब छाए याद तुम्हारी धूप

कुनकुनी ऊष्मा उल्लसित छत द्वार सजती हो

तब कहीं फूल सी हृदय खिली मिलती हो।


धीरेन्द्र सिंह

26.12.2023


गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

मुक्ति

 गज़ब है गवैया अजब है खेवैया

समझे तो मुक्ति वरना मैया-मैया


एक देता सुर का अपना ही तान

संगीतज्ञ उलझे सुन यह कैसा ज्ञान

करें साजिंदे मिल ता, ता थैया

समझे तो मुक्ति वरना मैया-मैया


सुर को कतर दें संगीत का ज्ञान

आरोह-अवरोह में मद्धम का मिलान

अनगढ़ सुर ले ढूंढते कुशल गवैया

समझे तो मुक्ति वरना मैया-मैया


कम्प्यूटर में सम्मिलित सुर भंडार है

गुरु ज्ञान बिन सुर में लगे डकार है

सुनना हो सुनो नहीं और बहन-भैया


समझे तो मुक्ति वरना मैया-मैया।


धीरेन्द्र सिंह

21.12.2023

14.10