भाग्य के भंवर में प्यार की नगरिया
मोहें पाश बांध ले राह की गुजरिया
दिल दिलदार यह हो रहा है असरदार
मिल एक ठाँह भाव युग्म हो रसधार
कहीं छांव बैठ बचाकर जग नजरिया
मोहें पाश बांध ले राह की गुजरिया
भावकलश में गंगाजल की हैं हिलोरें
अर्चना की प्रीत में संग गीत डुबो रे
पावनी अनुभूतियों संग चाह की बदरिया
मोहें पाश बांध ले राह की गुजरिया
परिचय अपरिचय संपर्क से होते तय
भावनाएं मिल गईं तो प्यार हो निर्भय
प्रणय की फुहार में श्रृंगार की रसबतिया
मोहें पाश बांध लें राह की गुजरिया।
धीरेन्द्र सिंह
27.12.20२3
09.16
पुणे
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