एहसासों के गुलाबी तहमत
खास सोहबत नहीं मोहब्बत
छुवन में हो भावनाएं
अनंत राह की कामनाएं
जिस्म-जिस्म भी जहमत
खास सोहबत नहीं मोहब्बत
व्यक्तिव ना दर्शनीय अस्तित्व
अस्तित्ब तो होता परिवर्तनीय
ठोस पहचान भी रहमत
खास सोहबत नहीं मोहब्बत
बहुत हो दूर, मगरूर
चाह का नूर, दस्तूर
बहुत दूर से निस्बत
खास सोहबत नहीं मोहब्बत।
धीरेन्द्र सिंह
30.12.2023
12.41
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