सोमवार, 14 नवंबर 2022

दुआ

 एक मोटी परत धूल

छंट रही बादलों सी

मन लगा स्वतंत्र हुआ

ना जाने लगी किसकी दुआ


एक कोमल पाश रचनात्मक

पल प्रति पल सृजनात्मक

लेखनीय अर्चना को छुवा

कौन था वह हमनवां


चुन लिया पथ अलग

धूनी नई जगा अलख

कौन किससे अलग हुआ

विश्वास एक गरल हुआ


लग रहा था कैद

पर था दिल मुस्तैद

भूमिका प्रदर्शन मालपुआ

भ्रमित होकर बुर्जुआ।


धीरेन्द्र सिंह


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